Monday, June 28, 2010

केसे?


एक दिल ही तो था जो मेरा अपना
आज वो भी आपको दे दिया
जमाने ने तो हमसे कुछ अच्छा नहीं किया
अब अबकी बार जो किया सो किया

एक दिल ही तो था जो मेरा अपना
आज वो भी आपको दे दिया

आइना की तरह संभाला है इसको
कहीं टूटे ना आपसे
खैर आइना तो बदल भी जाता है
पर दिल को हम बदलें कैसे?

4 comments:

  1. कोशिश करके अन्य ब्लॉग और हिन्दी लेखन खूब पढ़ें//इससे वर्तनी की त्रुटियों और मात्राओं का ज्ञान स्वतः बढ़ेगा.

    कृप्या मेरी सलाह अन्यथा मत लिजियेगा. अनेक शुभकामनाएँ. प्रयास जारी रखें.

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  2. अच्छी रचना ,अच्छा प्रयास ।कहीं कहीं भाषा ठीक से लिखने की आवश्यकता है-

    एक दिल ही तो था जो मेरा अपना
    आज वो भी आपको दे दिया
    जमाने ने तो हमसे कुछ अच्छा नहीं किया
    अब अबकी बार जो किया सो किया

    एक दिल ही तो था जो मेरा अपना
    आज वो भी आपको दे दिया

    आइना की तरह संभाला है इसको
    कहीं टूटे ना आपसे
    खैर आइना तो बदल भी जाता है
    पर दिल को हम बदलें कैसे?

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  3. वर्तनी की गलतियों से कविता का मज़ा जाता रहता है । आप अजय कुमार जी की सलाह मानें । आईने की तरह सम्भाला है इसको ।

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  4. thanks all ..actually Hindi is not my language i am learning it....i really appreciated the help...ajaya kumar ji u made my kabita lot better i will edit as u said thanks once again...

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